कार्यालय डेस्क
सिवनी 30 मार्च (संवाद कुंज). सिवनी जिले में 4 विधानसभा सीटें है और चारों में एक भी सीट ऐसी नहीं है जिसका विधायक मूलतः भारतीय जनता पार्टी का हो. ठाकुर रजनीश सिंह और योगेन्द्र बाबा तो कांग्रेसी हैं ही साथ ही दिनेश राय मुनमुन और कमल मर्सकोले भी मूलतः कांग्रेसी ही हैं. इन्हें कांग्रेस में जो अवसर नहीं मिल पा रहा था वो भाजपा में आकर मिल गया और ये पहले नहीं हैं जिन्हें भाजपा में अवसर मिला हो इसके पहले ऐसे अवसर स्व. महेश शुक्ल, शशि ठाकुर, राकेश पाल सिंह को भी मिल चुके है.
मु‘यमंत्री श्री मोहन यादव प्रदेश अध्यक्ष श्री बी.डी. शर्मा के मंच पर संतोष पंजवानी नानू, आनंद पंजवानी और रमाकांत राय के द्वारा भाजपा की सदस्यता ले ली गयी है. इनकी सदस्यता से भाजपाइयों का दर्द यह है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके भाजपाइयों को पार्टी पार्षद तक की टिकिट के लिये मोहताज कर देती है और कांग्रेस से आये व्यक्ति को इतनी जल्दी सबकुछ देती है जैसे पार्टी के बड़े नेता इनकी रास्ता ही देख रहे थे.
स्व. महेश शुक्ल मूलतः कांग्रेसी थे, ये सुश्री विमला वर्मा के खास थे. इन्हें वहाँ अवसर नहीं मिला तो ये भाजपा में आ गये और भाजपा में ये विधायक भी बने, मंत्री भी बने और इनकी मृत्यु उपरांत चूँकि इनके परिवार से किसी व्यक्ति ने विधायक की टिकिट नहीं ली थी इसीलिये इनकी बहु को नगर पालिका अध्यक्ष भी बनाया.
महेश शुक्ल के बाद 1994 में शशि ठाकुर कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य थी. श्री कैलाश जोशी के समय ये भाजपा में आयी. भाजपा में आने के कुछ ही महीने पश्चात इनको लखनादौन विधानसभा का प्रत्याशी बनाया गया ये दो बार विधायक रही. भाजपा ने इन्हें टिकिट दी कार्यकर्ताओं ने इनके लिये खून पसीना बहाया, इन्हें विधानसभा पहुँचाया और आज ये जबलपुर के एक बड़े से बंगले में विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रही हैं. कार्यकर्ता वहीं का वहीं है.
बरघाट विधायक श्री कमल मर्सकोले वर्ष 2000 में कांग्रेस से जनपद अध्यक्ष थे. ये भाजपा में आ गये. भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें टिकिट दी. ये तीसरी बार के विधायक हैं और एक बड़े भाजपा नेता के परिवार से इनकी रिश्तेदारी भी है. मतलब भाजपा में आने के बाद ये राजनैतिक रूप से भी समृद्ध हुए और पारिवारिक रूप से भी. श्री कमल मर्सकोले चूँकि आदिवासी वर्ग से आते हैं इसीलिये ये कभी भी मंत्री बन सकते हैं. मंडला से संपतिया उईके अगर मंत्री नहीं बनी होती तो कमल मर्सकोले मोहन केबिनेट मे मंत्री होते.
केवलारी के पूर्व विधायक श्री राकेश पाल सिंह अर्जुन सिंह के खास थे. अर्जुन सिंह ने उन्हें राजनीति में कुछ नहीं दिया पर जब ये भाजपा में आये तो इन्हें वो सबकुछ मिला जो कांग्रेस में इन्हें शायद ही कभी मिलता. कांग्रेस के जमाने में ये अर्जुन सिंह के खास थे और आज विधायक न रहने के बाद भी ये मूख्यमंत्री मोहन यादव के नजदीक हैं.
सिवनी विधायक श्री दिनेश राय मुनमुन भी पुराने कांग्रेसी हैं. कांग्रेस इनकी प्रतिभा को पहचान नहीं सकी. अरविंद मेनन ने इनकी प्रतिभा को पहचाना शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें चाहा और आज ये विधायक हैं और शिवराज सिंह चौहान की निजी टीम के सदस्य हैं. अगर देखा जाये तो सिवनी जिले की सत्ता में दीर्घकाल तक पार्टी और चुनाव चिन्ह बदलकर कांग्रेसी ही रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने मूल भाजपाई की मांग के बाद भी कांग्रेसे आये भाजपाइयों को ही तवज्जो दी है.