दो समूहों को पीडीसी का लाभ बाकियों से लिये गये 10-10 लाख

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 नियमों को तोड़ मरोड़ कर किया जा रहा है काम

कार्यालय डेस्क

सिवनी 26 दिसं (संवाद कुंज) समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के काम जिन 29 समूहों को दिये गये है उसमें से 27 से डीएम नान ने 10-10 लाख रूपये की एफडी ली है और दो समूहों को विशेष रूप से उपकृत करने के लिये पोस्ट डेटेड चेक लेकर समिति से उनके नाम की अनुशंसा करायी है. दो समूह जिन्हें पोस्ट डेटेड चेक के आधार पर काम दिया गया है उनके लिये अनुशंसा करने वाली समिति भी सवालों के दायरे मे है जिसमें जिले के सभी बड़े अधिकारी हैं.

ज्ञातव्य है कि सरकार द्वारा महिलाओं को बढ़ावा देने के लिये उपार्जन का काम महिला स्व सहायता समूहों को दिया जा रहा है. सरकार का नियम यह है कि जिस समूह को काम दिया जा रहा है उस समूह से या तो एफडी, डीडी, बैंक गैरेंटी या फिर पोस्ट डेटेड चेक पहले खरीदी एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम के पास जमा करायी जाये उसके बाद समूह को काम दिया जाये किसानों की उपज का भुगतान सुनिश्चित हो.

नान के सूत्रों ने बताया कि सिवनी जिले में जब समूहों ने उपार्जन का काम लेना चाहा तो उनसे 10-10 लाख रूपये की एफ.डी मांगी गयी, जबकि पोस्ट डेटेड चेक के द्वारा काम दिया जा सकता था जिसके कि स्पष्ट लिखित निर्देश हैं. महिला स्व सहायता समूह गरीब होते हैं बहुत सारे समूह 10 लाख रूपये की एफडी की मांग किये जाने के कारण उपार्जन का काम लेने से पीछे हट गये क्योंकि गरीब समूहों के पास पैसे नहीं थे. कुछ महिला स्व सहायता समूह ने अपने गहने साहूकार के यहाँ गिरवी रखकर ब्याज के पैसों से एफ.डी. बनाकर काम लिया पर मजे की बात तो यह है कि इसी बीच दो समूह ऐसे हैं जिनका नान ने पी.डी.सी. चेक जमा कर लिया और उनको पीडीएस चेक के माध्यम से काम दे दिया गया. सवाल यही है कि जब सरकार के नियम थे कि पोस्ट डेटेड चेक जमा कर भी महिला स्व सहायता समूह को काम दिया जा सकता है तो फिर पहले 27 समूहों से 10-10 लाख रूपये की एफडी क्यों मांगी गयी. और बाद के दो समूहों के लिये इस नियम को क्यों शिथिल कर दिया गया.

मजे की बात तो यह है कि आदर्श आजीविका स्व सहायता समूह और मातारानी आजीविका स्व सहायता समूह के लिये डीएम नान विख्यात हिंडोलिया द्वारा विशेष रूप से पत्र लिखकर जिला कलेक्टर आदि को यह सूचित किया गया कि इनके पी.डी.सी. चेक नान में जमा कर लिये गये हैं ताकि इन समूहों को काम दिये जाने की जो नोटशीट चले उसमें कहीं दिक्कत न आये. 

सवाल यह है कि यदि 29 समूहों को काम दिया गया है तो डीएम नान या तो सभी 29 समूहों को पोस्ट डेटेड चेक देकर उपार्जन कार्य में संलग्न कर देना था या फिर सभी से 10-10 लाख की एफडी लेना था. जिन गरीब समूहों की महिलाओं ने गहने गिरवी रख या उधार में पैसा ले काम लिया है वे तो घाटे में गयी.

यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि एक तरफ जिला कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत, जिला खादग्य आपूर्ति अधिकारी भ्रमण कर यह चाहते हैं कि समूह अपना काम ईमानदारी से करे. किसान के माल का तौल सहीं ढंग से हो, शासन के दिशा निर्देशानुसार उसे केन्द्र में सारी व्यवस्थाएं मिले पर जब इन्हें समूहों को काम देना होता है तो ये स्वयं शासन के दिशा निर्देशों को तोड़ मरोड़ कर काम देते हैं. ऊपर का प्रशासन स्वयं के स्तर पर ईमानदार नहीं है और सारी ईमानदारी और शराफत की अपेक्षा ये नीचे स्तर पर करते हैं जो कि इनसे बहुत गरीब हैं.

क्या कहते हैं विकास हिंडोलिया

इस संबंध में जब डीएम नान विकास हिडोंलिया से संवाद कुंज ने बात की तो पहले तो उन्होंने यह कहा पोस्ट डेटेड चेक के माध्यम से काम हमने नहीं दिया है काम देने वाली समिति है. इसपर जब संवाद कुंज ने कहा कि ठीक है हम जिला कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत को आपका यह जवाब बताये क्या कि आप उनपर सारा दोष मढ़ रहे हैं तो फिर इन्होंने यह जवाब दिया कि विपणन संघ को इन समूहों को कुछ भुगतान करना बाकी है इसीलिये इनका पोस्ट डेटेज चेक स्वीकार कर इन्हें बिना एफडी के काम दिया गया है.

अब सवाल यह है कि एक ठेकेदार ने पीडब्ल्यूडी में काम किया. पीडब्ल्यूडी से उसका फाइनल भुगतान बाकी है तो क्या रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन वाले उससे सिक्योरिटी नहीं लेगी क्या ? शासकीय विभाग की स्थिति तो यह है कि एक काम का अगर रनिंग बिल बाकी है और ठेकेदार दूसरा काम फिर उसी विभाग में कर रहा है तो भी उसे नये काम की नयी सुरक्षा निधि जमा करनी होती है. कभी किसी विभाग का कोई बकाया भुगतान सुरक्षा निधि माफ करने का कारण नहीं बनता.

एमडी नान अपने मन से कोई भी नियम बनाकर अखबार को बता रहे हैं और मजे की बात तो यह है कि जो नियम है ही नहीं, शासन के किसी निर्देश में नहीं है उसे पूरी समिति मान रही है और जो नियम है उसे तोड़ मरोड़ रही है.

मै अभी मीटिंग में हूँ : प्रभारी कलेक्टर

जिला कलेक्टर के अवकाश में होने के कारण आज इस संबंध में संवाद कुंज द्वारा जब प्रभारी कलेक्टर सीईओ जिला पंचायत नवजीवन पवार से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने बताया कि वो अभी मीटिंग में है, बाद में बात करते हैं. इसके बाद संवाद कुंज द्वारा स्टेनो टू कलेक्टर को मामले की संक्षिप्त जानकारी देकर बता दिया गया था कि इस मामले में प्रभारी कलेक्टर साहब से बात करनी है पर उनसे बातचीत नहीं हो सकी.

आपूर्ति अधिकारी शैलेष शर्मा की भूमिका संदिग्ध

धान उपार्जन का काम जो समितियों एवं समूहों को दिया गया है उसमें जिला आपूर्ति अधिकारी शैलेष शर्मा की भूमिका संदिग्ध लगती है क्योंकि इन्होंने पहले ये बताया कि एक समूह को उपार्जन का एक काम दिया जायेगा बाद में एक ही समूह को दो उपार्जन केन्द्र भी दे दिये गये. कई समूह ऐसे हैं जिनका ब्लाक तक बदल दिया गया. समूह सिवनी ब्लाक का है और उसे बरघाट, कुरई, दूसरे ब्लाक में उपार्जन का काम दे दिया गया. समूह इनके कार्यालय में उपार्जन केन्द्र बदलवाने हेतु चक्कर लगाते घंटो बैठे दिखायी दिये पर ये कार्यालय में मिलते ही नहीं है. इनके कार्य की एक निष्पक्ष जाँच होनी चाहिये.

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