कार्यालय डेस्क
सिवनी 11 सितं. संवाद कुंज) गलत व्यक्ति का कभी साथ नहीं देना चाहिये भगवान शंकर ने भी माता सती की गलत बात का न तो समर्थन किया और न ही उनका साथ दिया यह बात तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य जी ने सिवनी नगर के पालीटेक्रिक ग्राउंड में चल रही दिव्य रामकथा के दूसरे दिन भगवान श्री राम के जन्म की कथा के पूर्व प्रसंग का वर्णन करते हुये कही है.
कथा सुनाते हुए कथावाचक स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कहा कि भगवान श्रीराम हर जगह विद्यमान है राम सर्वज्ञ है. माता सीता के हरण के पश्चात जब भगवान श्रीराम माता सीता की खोज कर रहे थे तब भगवान शिव उनकी इस लीला को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे थे और उन्हें इस बात के लिये प्रणाम कर रहे थे कि सर्वज्ञ श्रीराम वन में पेड़-पौधों, पशु पक्षियों और लताओं से सीता जी के बारे में पूंछ रहे थे.
भगवान श्रीराम के सीता बिरह को माता सती भी देख रही थी. भगवान शिव द्वारा जब भगवान राम को प्रणाम किया गया तो माता पार्वती ने कहा कि मैं उनकी परीक्षा लूंगी. और माता पार्वती सीता का रूप धारण कर भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने पहुँच गयी परंतु भगवान श्रीराम ने माता सती का सत्कार करते हुये उन्हें प्रणाम किया और भगवान शिव के बारे में पूछा तो वे लज्जित होकर वापिस आ गयी. कथाकार स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कहा कि माता सती को भगवान शंकर ने ऐसा करने से मना किया था परंतु माता सती उनको भी साथ चलने कह रही थी जो भगवान शिव ने नहीं किया जिससे स्पष्ट है कि हमारा कोई कितना भी प्रिय व्यक्ति हो गलत काम में उसका साथ नहीं देना चाहिये.
कथा के आयोजक दिनेश राय मुनमुन ने सहित आमंत्रित अनेक समाज प्रमुखों के द्वारा कथाकार राम अनुरागी स्वामी रामभद्राचार्य जी की पदुका पूजन किया गया कथा में आरती के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन के प्रमुख की उपस्थिती रही.