महाशिवरात्रि का वह दुर्लभ क्षण अर्ध रात्रि 12:22 बजे
• पूजन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:58 बजे से रात्रि 12:47 बजे तक कुल 49 मिनट है सिवनी 5 फर. (संवाद कुंज) इस वर्ष यह महाशिवरात्रि पर्व शुक्रवार 8मार्च को मनाया जाना पूर्णत: शास्त्र सम्मत है क्योंकि इस दिन चतुर्दशी तिथि अर्ध रात्रिकाल में उपलब्ध रहेगी अर्धरात्रि व्यापिनी होने के कारणशुक्रवार को ही महाशिवरात्रि का व्रत एवं पर्व होगा इस बार महाशिवरात्रि पर्व में शिव नामक योग विद्यमान रहेगा. महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. महाशिवरात्रि में वही चतुर्दशी ग्रहण की जाती है जो अर्ध रात्रि काल में विद्यमान हो. अर्धरात्रि के दुर्लभ क्षण इस वर्ष यह विशिष्ट एवं दुर्लभ क्षण शुक्रवार को ठीक अर्ध रात्रि 12:22 बजे विद्यमान रहेगा. शास्त्रों में बताया गया है कि यह वह दुर्लभ क्षण है जिसमें भगवान शिव वरद मुद्रा में अर्थात वरदान देने की मुद्रा में आराधक को सब कुछ देने को तत्पर रहते हैं जिसकी जो भी इच्छा हो वह इसी क्षण में जल एवं बेलपत्र से भगवान शिव की पूजा करके मनचाहा फल प्राप्त कर सकता है अतः सभी श्रद्धालुओं को ऐसे दुर्लभ क्षण का लाभ अवश्य उठाना चाहिए.पूजन का शुभ मुहूर्त शिव पुराण के अनुसार रात्रि के चारों प्रहरों में शिव पूजन का विधान है किंतु अर्धरात्रि वाले विशिष्ट एवं दुर्लभ क्षण की पूजा प्रारंभ करने के लिए महानि शीथकाल अर्थात अर्ध रात्रि 11:58 बजे से 12:47 बजे तक सर्वोत्तम मुहूर्त है इसी दुर्लभ मुहूर्त के अंतर्गत वह 12:22 वाला दुर्लभ क्षण भी प्राप्त होगा.महाशिवरात्रि व्रत का माहात्म्य महाशिवरात्रि व्रत व्रतराज के नाम से प्रसिद्ध है. सभी प्रकार के व्रत, सभी प्रकार के दान, समस्त यज्ञ, समस्त जप, योग, तथा पूजन आदि इस महाशिवरात्रि व्रत की तुलना नहीं कर सकते. अनजाने में भी यदि कोई शिवरात्रि का व्रत कर ले तो शिवजी परम प्रसन्न होकर उसके सभी दुखों को दूर कर देते हैं एवं उसे भोग एवं मोक्ष सब कुछ दे देते हैं. महाशिवरात्रि के बारे में स्कंद पुराण में बताया गया है कि अन्य युगों के जो-जो पुण्य लुप्त हो गए हैं उन सभी पुण्यों का उदय महाशिवरात्रि में होता है अर्थात वे सभी पुण्य महाशिवरात्रि व्रत में आकर विद्यमान हो जाते हैं. इसी पुराण में यह भी बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को उपवास का अवसर मिलना अति दुर्लभ है उसमें भी शिवरात्रि में जागरण करना अत्यंत ही दुर्लभ है एवं उसमें भी अत्यंत दुर्लभ है शिवलिंग का दर्शन करना तथा उससे भी दुर्लभ है शिवरात्रि में शिव पूजन करना सौ करोड़ जन्मों में उत्पन्न हुई पुण्य राशि के प्रभाव से कभी महाशिवरात्रि में भगवान शंकर की बेलपत्र से पूजन करने का अवसर प्राप्त होता है इस महाशिवरात्रि में एक बेलपत्र से भी पूजन करने का दुर्लभ महत्व है. पुराणों में बताया गया है कि 10 हजारों वर्षों तक गंगा जी में स्नान करने से जो फल मिलता है वही फल मनुष्य को एक बार महाशिवरात्रि में एक बिल्वपत्र चढ़ाने से मिलता है. शिवरात्रि में केवल उपवास मात्र करने से सौ यज्ञो का फल मिलता है. रात्रि के चारों प्रहरो की पूजन शिव महापुराण में बताया गया है कि रात्रि के चारों प्रहरों में शिव पूजन करना अच्छा माना जाता है. शाम 6:00 बजे से 9:00 बजे तक प्रथम प्रहर रहता है रात्रि 9:00 से 12:00 तक दित्तीय प्रहर होता है और रात्रि 12:00 से रात्रि 3:00 तक तृतीय प्रहर रहता है और रात्रि 3:00 से सुबह 6:00 तक चतुर्थ प्रहर रहता है.महाशिवरात्रि व्रत का पारण महाशिवरात्रि व्रत का पारण हमेशा दूसरे दिन चतुर्दशी तिथि के रहते हुए ही करना चाहिए अमावस्या में कभी भी शिवरात्रि व्रत का पारण नहीं करना चाहिए. इस वर्ष शनिवार 9 मार्च को चतुर्दशी तिथि शाम6:18 बजे तक विद्यमान रहेगी उसके बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी अतः इस वर्ष शनिवार 9 मार्च को सूर्योदयके बाद शाम 6:18 बजे तक शिवरात्रि व्रत का पारण कर लेना चाहिए अर्थात शनिवार 9 मार्च को दिन भर में कभी भी पारण किया जा सकता है.