कहीं भ्रष्टाचार की परतें न खुल जायें, सीसीटीवी रिकार्डिंग मिटाने में लगे डाँ. नावकर

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कार्यालय डेस्क

सिवनी 14 सितं. (संवाद कुंज) इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में चिकित्सक रहते नहीं है जिसके कारण मरीज परेशान होते रहते हैं और इलाज के आभाव में उनकी मृत्यु तक हो जाती है. जिला चिकित्सालय में कौन कौन से चिकित्सक नियमित आते हैं और कौन कौन नहीं आते हैं. इसकी जानकारी के लिये जब सूचना के अधिकार के तहत सीसीटीवी रिकार्डिंग मांगी गयी तो सिविल सर्जन डाँ. नावकर ने लिखित में यह जवाब दिया कि सीसीटीवी रिकार्डिंग देने से मरीज की गोपनीयता भंग होगी इसलिये रिकार्डिंग नहीं दी जा सकती. दरअसल मरीज की गोपनीयता की आड़ में सिविल सर्जन डाँ. नावकर अपने भ्रष्टाचार को छुपाना चाहते हैं.

ज्ञातव्य है कि संवाद कुंज द्वारा जितनी बारभी जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया है चिकित्सक नहीं मिले हैं. इसके साथ ही राज्य स्तरीय दल द्वारा भी जब जिला चिकित्सालय का दिनांक 27 जुलाई को निरीक्षण किया गया था तब भी चिकित्सक नहीं मिले थे. विगत दिनांक 14 अगस्त को जब जिला कलेक्टर द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के साथ जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया था तब भी चिकित्सक नही मिले थे.

इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों कितना समय दे रहे हैं. इसकी जानकारी के लिये संवाद कुंज द्वारा दिनांक 17 अगस्त को सूचना के अधिकार के तहत सिविल सर्जन डाँ. नावकर से इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में जितने भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं उन सभी की रिकार्डिंग आवेदन दिनांक अर्थात 17 अगस्त से लेकर पिछले जितने दिनों की उपलब्ध हो अर्थात हार्ड डिस्क में जितनी हो मांगी गयी थी. इस आवेदन पर सिविल सर्जन डाँ नावकर का यह जवाब था कि इस चाही गयी जानकारी में क्या लोक हित है यह स्पष्ट करें. इसके अलावा इन्होंने यह भी लिखा कि इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में अनेकों ऐसे भी जिनकी सीसीटीवीफुटेज से मरीज की गोपनीयता भंग होती है. जो कि सूचना के अधिकार की धारा 8.1 (जे) का उल्लंघन है.

यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि न ही सिविल सर्जन को यह अधिकार नहीं है कि वो सूचना का अधिकार लगाने वाले से कारण पूछ सके. न ही सूचना के अधिकार में चाही गयी जानकारी से किसी की गोपनीयता भंग हो सकती है क्योंकि अस्पताल परिसर और वार्ड में लगे कैमरों से कोई व्यक्ति मरीज की पहचान, उसकी बीमारी, उसे लिखी जाने वाली जाँचे, उसकी जाँच रिपोर्ट में पाये गये तथ्य तथा दवाइया नहीं देख सकता पर यह जरूर देख सकता है कि डाँक्टर उसे कितनी बार देखने आया, मरीज और उसके परिजनों को भोजन मिला या नहीं मिला क्योंकि डाँ. नावकर 400-500 मरीजों के रोज का भोजन का बिल निकालते हैं, यह जरूर दिख सकता है कि तकिये के खोल और चादर धुल रहे हैं या नहीं क्योंकी मरीजों की बेडशीट के धुलने का भी लाखो रूपये का बिल निकल रहा है, गार्ड है या नहीं क्योंकि सिक्योरिटी वाले के नाम से भी लंबे चौड़े बिल निकाले जाकर भुगतान किये जा रहे हैं, यह दिख सकता है कि सफाई हो रही है या नहीं क्योंकि सफाई कर्मी के नाम पर भी लंबे चौड़े बिल लगते हैं और पास होते हैं. एक सीसीटीवी रिकार्डिंग से अस्पताल की बहुत सारी कहानियाँ खुल सकती है और सिविल सर्जन इन कहानियों को नहीं खोलना चाहते हैं इसीलिये वो जानकारी देने के बजाये बेकार के पत्राचार कर रहे हैं.

यहाँ यह भी उल्लेखनीय होगा कि गत दिवस 13 सितंबर को शाम 5ः30 बजे संवाद कुंज द्वारा पुनः जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया था और उस समय भी वहाँ चिकत्सक नहीं थे. सिविल सर्जन डां. नावकर स्वयं नहीं थे. डाँ. एस.के. सिरोठिया, डाँ. अभय सोनी के रूम में ताला लगा था. डाँ. वान्द्रे डाँ. दीपक अग्निहोत्री नहीं थे. ये चिकित्सक आसानी से यह कह देते हैं कि हम अपने रूम में नही थे वार्ड में थे या ओ.टी. में थे पर अगर वार्ड में भी थे तो रूम में ताला क्यों लगा था दूसरा अगर ये वार्ड में थे तो सीसीटीवी कैमरे से इसकी सत्यता का पता लगाया जा सकता है पर डाँ. नावकर सी.सी.टीवी फुटेज देने को तैयार नहीं है. इनकी कोशिश है कि हम समय गुजारकर पुरानी सीसीटीवी फुटेज को मिटा दें ताकि कोई तथ्य किसी की पकड़ाई में आ ही न सके.

यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि अस्पताल में व्यापक भ्रष्टाचार है. जिला कलेक्टर को सिविल सर्जन के स्थानांतरण का प्रस्ताव भेजना चाहिये. डां. नावकर प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं ये पिछले कई सालों से प्रशासनिक पद पर हैं चुनाव आयोग 3 वर्ष से अधिक समय के सारे प्रथम श्रेणी अधिकारियों को दूसरे जिले में भेज रहा है चूँकि ये लंबे समय से प्रशासनिक पद पर हैं इसीलिये इन्हें भी दूसरे जिले में भेजा जाना चाहिये.

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