नई दिल्ली: 06 मार्च (आरएनएस)।बिहार में पहले जहां खासकर ग्रामीण महिलाओं की स्थिति बद से बदतर थी वहीं अब नीतीश सरकार में महिलाएं सरकारी योजनाओं के लाभ और अपने हौसलों की उड़ान से बिहार के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आधी आबादी की प्रगति के लिए शिक्षा पर खासा जोर दिया है। और वर्ष 2006 में बालिका साइकिल योजना और फि पोशाक योजना से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया और स्कूलों में छात्र-छात्राओं का अनुपात बढ़कर 54:46 हो गया। मुख्यमंत्री का साफ मानना है कि अगर लड़कियां पढ़ी-लिखी होंगी तो बिहार के प्रजनन दर में काफी गिरावट आएगी। पहले बिहार की प्रजनन दर 4.3 थी जो अब घटते-घटते 2.9 पर आ गई।
लड़कियों को शिक्षित करने के प्रति मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार कितना गंभीर हैं उसका पता ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ से चलता है। जब मुख्यमंत्री जी को लगा कि प्राथमिक स्तर पर लड़कियां पढ़ने लगी हैं तब उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ की शुरुआत की ताकि लड़कियां कॉलेजों में दाखिला ले सकें। राजनीति में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए बिहार में सबसे पहले वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित की गई। सरकारी सेवाओं में भी आधी आबादी की भागीदारी को बढ़ाने के लिए उन्हें 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्राओं के लिए कम-से-कम 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की हैं। मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना 2009-10 ने 67 लाख से अधिक महिलाओं को साक्षर बनाया। ‘हुनर’ कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक समूहों की हजारों लड़कियों को 20 विभिन्न व्यवसायों का व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पुलिस सेवा की बहाली में महिलाओं को आरक्षण देकर मुख्यमंत्री ने महिला समाज को ताकतवर बनाने का काम किया है। सूबे में 28 हजार से ज्यादा महिलाएं पुलिस सेवा में कार्यरत् हैं। बिहार में पहली बार महिला बटालियन का गठन हुआ है। इतना ही नहीं बिहार सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में महिला सशक्तीकरण नीति भी तैयार की है। सिविल सेवा में लड़कियों को प्रोत्साहित करने हेतु मुख्यमंत्री महिला सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर प्रोत्साहन दिया जाता है। बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसायटी जिसे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने जीविका नाम दिया है, आज के समय में 1 करोड़ 27 लाख से अधिक परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। घरेलू हिंसा के पीड़ितों को मुफ्त मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए महिला हेल्पलाइन की स्थापना की गई है।